"पापा! आज स्कूल मे हमे 'बड़ो के सम्मान' पर लेख लिखने को कहा गया है।मुझे आपकी मदद चाहिए।" चहचहाते हुए मुन्नू ने राकेश से कहा।
राकेश ने उत्तर दिया-"बिल्कुल बेटा- हमें हमेशा अपने से बड़ो का सम्मान करना चाहिए।उनका दिल कभी नही दुखाना चाहिए।हमे कभी भी बड़ो का अपमान नही करना चाहिए।भले ही वो गरीब हो या अमीर।"
तभी किचन से कुछ टूटने की आवाज़ आई। किचन मे चाय का कप ,राकेश के वृद्ध नौकर के हाथ से छूट गया था।
राकेश चिल्लाते हुए बोला-"रे दो कौड़ी के नौकर कहीं के!औकात नही है जब काम करने की तो क्यों आ जाता है मनहूस चेहरा लेकर ? इसका खर्चा क्या तेरा बाप देगा??"
राकेश के इस रुप को देखकर मुन्नू भी "बड़ो के सम्मान" का अर्थ समझ गया था।