धूप ने अपनी तेजी दिखानी शुरू कर दी थी,पलाश के फूल अपने पूरे शबाब पर थे ।गेहूं के खेत भी पककर तैयार थे,प्रकृति कई रंगों से रंग गई थी। संसार कल होली का त्योहार मनाने वाला था,आज होली जलने वाली थी।अचानक दोपहर में बदली छा गई, बादल गरजने लगे । धूप से बेहाल लोगों ने चैन की सांस ली कुछ ही देर में हल्की बारिश होने लगी। लोग भिगने लगे, पर यह बारिश और भी तेज हो गई, बारिश ने अपनी ताकत दिखाने के लिए पानी के साथ ओलों का भी सहारा लिया,कुछ ही देर में सारा परिसर सफेद चादर से ढक गया था।
मौसम ठंडा हो गया था आधे घंटे तक चली इस गारपीट (मराठी में ओलावृष्टी को गारपीट कहते हैं ) कई लोगों को सोशल मीडिया में डालने के लिए नया मसाला दे दिया था। लोग फोटोज,वीडियोस बना कर सोशल मिडीया में अपलोड़ कर रहें थे । गारपीट में गिरे हुए ओलों को हाथों में लेकर फोटो खिंचवा रहे थे, सफेद बर्फ से ढकी सड़क को मनाली कश्मीर बता रहे थे, गिरते हुए ओलों के साथ सेल्फी खिंचवा कर,अपने प्रियों को इस घटना के बारे में बता रहे थे इस पर आश्चर्य व्यक्त कर रहे थे। सब प्रसन्न थे।
हाँ पर पता नहीं क्यों, एक व्यक्ति बदहवास सा खेतों की तरफ दौड़ा जा रहा था। शायद किसान था वह,अरे हाँ वो किसान ही तो था,उसकी गेहूँ और चने की फसल पक चुकी थी,एक-दो दिन में वह कटनी भी करने वाला था। पर वो पके खेत शायद इस भीषण गारपीट को सह नहीं पाए थे....उसकी वर्ष भर की मेहनत पर पानी...नहीं पानी नहीं...ओला फिर चुका था। वह झुके हुए कंधों के साथ अपने खेतों में जा रहा था।अब आसमान साफ हो गया था... शाम का सूरज कुछ ज्यादा ही लाल दिखाई दे रहा था, उस किसान की आँखों जैसा...
रात को लोगों ने धूमधाम से होली जलाई। सुबह अखबारो में खबरें छपी थी.. कल की बारिश ने दी गर्मी से राहत,मौसम हुआ सुहाना... प्रकृति ने खेली एक दिन पहले होली,जमकर बरसें बादल..और भी बहुत कुछ।
कल की भारी वर्षा की वजह से आज मौसम बड़ा सुहाना था, लोग जमकर होली खेल रहें थे,नाच रहें थे..एक-दूसरे को बधाईयाँ दे रहे थे..सब प्रसन्न थे। पर हाँ, इन सबके बीच वो किसान और उसका परिवार नज़र नहीं आ रहा था..वे अपने खेतों में तय्यारी कर रहे थे, फिर एक बार प्रकृति से टकराने की....