बीना देवी शहर की एक प्रसिदध समाज सुधारक हैं और वनिता विकास नामक महिला मुक्ति संस्था की संस्थापिका भी हैं ।कन्या भ्रूण हत्या के विरोध में ,लिंग परिक्षण,महिला साक्षरता इत्यादि विषयों पर उन्हें भाषण देते नारे लगाते हर लोकल अखबार और चेनल में प्राय: उन्हें देखा जाता है ।
बीना जी की बहु आठ माह से गर्भवती है ।जन्म से लेकर चालीस दिन तक शिशु को उतरन पहनाने की प्रथा के चलते वह अपनी एक रिश्तेदार को फोन करके उनके नाती के पुराने कपडे भेजने का आग्रह करती हैं ।
मगर रिश्तेदार ने बताया कि नाती के कपडे तो वह किसी और को दे चुकी हैं मगर बीना जी चाहें तो वह उनकी नातिन के कपडे भेज सकती हैं ।
बीना जी ने उनकी नातिन के कपडे यह कहते हुए लेने से मना कर दिया कि –“रहने दीजिये मैं कहीं और से इंतजाम कर लूंगी, वो क्या है ना पहला पहला बच्चा है शगुन ख़राब हो जाएगा “।