अधूरे हम

एक तू हुआ करती थी....
और एक तेरी वो मुस्कान...,  
जो अक्सर;
हमारे सीने को छल्ली कर दिया करती थी...,

तेरी वो आँखे,
जिनकी गहराई हमें डुबो लिया करती थी...,

तेरा एहसास मात्र ही...
हमारी धड़कनों को तेज़ किये देता था..,

और आज भी किये देता है;

पर अब....,
बहुत दूर हो गई है तू हमसे...
कुछ गुम सी हो गई है...,

तेरी नज़रें ,
अब हमें किसी अजनबी की भांती भेदती हैं...,

तेरी आंखों में अब वो गहराई नहीं,
जो हमें डुबो सके....

शायद,
तेरी याद में बहाए, आँसुओं के समंदर में...
हमनें तैरना सीख लिया है....,,

तेरी मुस्कान में अब वो धार नहीं,
जो हमारे सीने को छल्ली कर सके...

शायद,
तेरी अजनबी सी निगाहों के बाणों ने,
हमारे सीने को कठोर बना दिया है...

हम कारण नहीं जानते तेरी इस तीक्षणता का...,
और, जानना भी नहीं चाहते....
डरते हैं;
कि कहीं अपने प्रति तेरे इस स्वभाव का कारण,
हम ही तो नहीं...!!


तारीख: 06.06.2017                                    अनुभव कुमार




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