सुबह सवेरे जल्दी उठकर, मम्मी चाय बनाती हैं.
एक भगौने पानी को, थोड़ा सा दूध सुंघाती हैं.
थोड़ी पत्ती थोड़ी चीनी से, रंग स्वाद आ जाता है.
चाय और बासी रोटी से, ब्रेकफास्ट हो जाता है.
दोपहर मे बूढ़ी अम्मा, रोटियाँ जरूर बनाती हैं.
लेकिन सिकने के साथ साथ, उनको गिनती भी जाती हैं.
जिसको जितनीं रोटी मिलतीं, वो नमक चुपड़कर खाता है.
घर के लोगों का एक साथ, इस तरह लंच हो जाता है.
आटे के संग कभी रात जो, सब्जी भी आ जाती है.
घर मे खुशियाँ छा जाती हैं, तब दीदी डिनर बनाती हैं.
उस दिल घर के सारे बच्चे, फिर बड़े चाव से खाते हैं.
नहीं बचा तो मम्मी पापा, भूखे ही सी जाते हैं.