शाम होते ही बेसब्री से
इंतजार रहता है
कोई तो है जो हमें
हिचकियों से याद करता है ,
हैरान हूं, क्यूं भाने लगी तूं
बिजलियां दिल पर क्यूं
गिराने लगी तूं ,
बादल को खुशियां मना लेने दे
एे चॉद मेरी चांदनी को आ जाने दे ,
तेरी यादें घिरी हैं ,पहरों-पहर
अब आंखों को बरस जाने दे,
ऐ चॉद मेरी चांदनी को
आ जाने दे ,
न जाने क्यूं ये जर्द सी आंखें
अब सोती नहीं
ये प्यार-व्यार की बातें
मुझसे होती नहीं ,
ना जाने क्यूं मेरी कलम
अधूरी सी है
ये ख्वाब-व्याव की लेख़नी
अधूरी सी है |
हैरान हूं ,परेशान हूं
पहरो-पहर
ये मेरी धड़कन
अधूरी-सी क्यूं है