नहीं जानती तुम्हारी बातों में तिलिस्म है या जादू,
फिर भी ऐतबार है मुझको।
नहीं जानती कितनी तपिश है तुम्हारे होंठों में,
फिर भी चूमने की वासना है हमारी।
नहीं जानती तुम्हारी आँखों में आईना है, या समंदर,
फिर भी उनमें डूबने का तमन्ना है हमारी।
नहीं जानती तुम्हारे साथ से क्या मिलेगा, क्या खोना,
फिर भी उस अनुभव को पाने की तड़प है हमारी।
नहीं जानती तुम्हारा बहाव किस ओर ले जाएगा,
फिर भी उसमें तिरोहित हो जाने का शौक़ है मुझे।
नहीं जानती तुम मेरा साथ दोगे या नहीं,
फिर भी तुम्हारे लिए, बगावत का शौक़ है मुझे।