सुबह-सुबह स्वप्न देखा था अज़ीब
सपना नहीं कह सकता उसे
वह तो साक्षात् कयामत थी कयामत।
थरथरा रहा था शरीर का अंग-अंग
रोम-रोम थे खड़े हुये खम्भे की तरह
डर और आश्चर्य के कारण।
एक छोटा सा जीव आया था उड़ता हुआ
यह तो नहीं समझ पाया था कि
वह इंसान था या जानवर या पक्षी।
परन्तु यह अच्छी तरह याद है कि
वह तपते विशाल सूरज को
निगल गया था अपने पेट में।
यह सच है या अफ़साना
इसका फ़ैसला अब आप कीजिए
परन्तु विवेक व वैज्ञानिक दृष्टिकोण से।।