शिव मेरे प्रभु मैं शिव का दास,
महादेव जहां विराजे वो है शिवालय।
क्यूं भटके तू दर-दर क्यूं चूमें हर चौखट को,
एकबार तू आजा शिवालय।
मन में शांति तन में कांति दूर होंगी सारी भ्रांति
मन में बसा ले शिवालय।
शीश झुका के चरणों में भोले के,
मन की तृष्णा मिट जायेगी सीढ़ी चढजा शिवालय।
मन में ना कोई मोह रहेगा ना कोई मन में भय रहेगा,
हाथ जोड कर शीश झुका ले शिवालय।
बाबा मेरे भोले हैं तेरे मन की बात वो जाने हैं,
बस एक बार आके मना ले शिवालय।
शिव ही सत्य है सत्य ही शिव हैं,
बाबा मेरे ध्यान लगाते बैठ के शिवालय।
शिव मेरे प्रभु मैं शिव का दास,
महादेव जहां विराजे वो है शिवालय।