सारे घर की बालाएं ओढ़ चली है माँ
झोलियाँ भर भर दुआएं छोड़ चली है माँ |
जो सारे रिश्ते नाते उससे मैंने सीखे थे
देखो कैसे सारे नाते तोड़ चली है माँ |
जिस लाल चुनरी में मैं छुप छुप खेला करती थी
बिंदिया, लाली,नथुनी,झुमकीऔर वही लाल चुनरीया ओढ़ चली है माँ |
मुझको सदा दृढ़ बनाने वाली,धर्म परायणता बताने वाली,
शिष्टाचार्य सीखने वाली
सबसे हाँथ जोड़ चली है माँ |
छावप्रदायिनी, शीतला, अन्नपूर्णा, मंशापूर्णी
विद्यादायी,करुणामयी, दुर्गारूपा, लक्ष्मी स्वरूपा मेरी माँ ||