गरीबों की हाय

जी  रहें हैं वो गरीबों की हाय लेकर
जैसे खुश होता है बच्चा टॉय लेकर।
जानतें हैं नंगे आएं हैं नंगे ही जाएंगे
भला करेंगें क्या अकूत आय लेकर ।
ये तुम जो दिनरात जुगाड़ में लगे हो
क्या होगा ज़िंदगी भर उपाय लेकर ।
अमीरी-गरीबी हैं एक दूजे के पूरक
संबल का गुजारा है असहाय लेकर ।
शायद ज़िंदादिली इसी को कहते हैं
ज़िंदगी हरहाल जीए एन्जॉय लेकर ।
 


तारीख: 19.03.2024                                    अजय प्रसाद




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