ख़ुमारी में गीत गाओ, दो पल की ज़िंदगी में।
मेरी ज़िंदगी में ग़म रहे, भोर की ओस जैसे।।
दिल बेचैन है, रंज-फ़िक्र को भुला नहीं पाता।
कौन मेरे ग़म हरेगा, सिर्फ इस जाम के सिवा।।
हुनरमंद हाकिमों का ग़म , दिल को सताता है।
वही अफ़सर जिनके गीत दिल रोज गुनगुनाता है।।
हुनरमंद ये हिरणी जैसे, चबाते हैं जंगली घास।
मेरे पास तो आओ साथी, मैं बजाऊँ ढोले ताश।।
वे हुनरमंद तो चाँद हैं, उन्हें कौन पा सकता है।
मेरा दर्द भी कुछ यूँ, मरहम नहीं पा सकता है।।
आधे रास्ते में मिलूँगा, मेरे क़ाबिल दोस्त आ जा।
जामों से जाम लड़ाएंगे, पुरानी यादें करेंगे ताज़ा।।
हाय चाँदनी रात में, सारे क़ाबिल दक्खिन चले गए।
पास तो आना चाहा था, फिर साथ क्यों नहीं बसे।।
पहाड़ क्या चाहे ऊँचाई, समंदर क्या चाहे गहराई।
तहेदिल अगवानी करता, सारे हुनरमंद होते भाई।।
— चीनी राजा त्छाओ त्छाओ (Cao Cao, 155-225 ई.)
राजा त्छाओ त्छाओ अपनी सल्तनत को मज़बूत करने के लिए हमेशा क़ाबिल मातहतों की तलाश में रहता था।