निकलूं जब तेरी गली से
छत पर टहलते हुए
कनखियों से यूँ न देखा करो
धड़कता है दिल
निर्लज्ज दुपट्टे को
लहरा कर यूँ न देखा करो
थम जाती सांसें भी
चोरी-चोरी चुपके-चुपके
नजरें झुकाकर यूँ न देखा करो
अनकही कोई बात
इशारों में कह दो
मगर शर्माकर यूँ न देखा करो