तन्हाईयाँ कटती नहीं हैं तुम बिन
दिल का हाल खत में लिखा करो
सांझ केसरिया ढलने को हो जब
सागर किनारे चुपके से दिखा करो
भँवरे भी मंडराने लगे गुलशन में
कलियों से कुछ इश्क सीखा करो
तुम्हें मनाने में अब वह सुकून कहाँ
रूठने का मिज़ाज कुछ तीखा करो