ज्ञान की तलाश


ज्ञान के प्रकाश की तलाश केवल उन्हीं पारंपरिक तरीकों से मत करो जो तुम्हारे जन्म लेते ही समाज द्वारा तुम्हारे दिमाग में जबरन डालने शुरू कर दिए जाते हैं !


तुम्हारा दिमाग पहले से चलती चली आ रही चीजों को रटने मात्र के लिए नहीं बना है. यदि तुम्हारा दिलो-दिमाग पारंपरिक तौर तरीकों से उचटकर किसी अन्य स्थान से रौशनी आती देख लेता है तो कृप्या करके  ईश्वर के लिए उस रौशनी  की ओर ध्यान देना कि वह तुम्हें क्या समझाना चाहती है , तुम्हें कहां ले जाना चाहती है.


केवल खुद पर भरोसा रखना !
अपने दिलो-दिमाग पर भरोसा रखना !


हमारे आसपास हर पल कुछ नया घटित होकर हमें निरंतर कुछ सिखाने और प्रेरणा देने की चेष्टा कर रहा है !
सूरज,पृथ्वी,चांद,तारे,सागर,नदी,पत्ते, फूल,फल,जीव जंतु, आकाश ,पाताल ,अंधकार ,प्रकाश सब हर क्षण गतिमान हैं और एक प्रकिया से निकलकर दूसरी प्रक्रिया में प्रवेश करते रहते हैं.


पारंपरिक तरीके इन सबसे ध्यान हटाने के लिए भी हो सकते हैं  कि तुम कहीं वो न जान जाओ जो तुम्हें भयभीत कर तुमसे छिपाकर रखा गया है!


लेकिन तुम केवल उस प्रकाश की सुनना जो तुम्हें अपनी ओर खींच रहा है !
क्योंकि तुम ईश्वर की बनाई एक ऐसी रचना हो जिसे किसी भी पारंपरिक और सदियों पुरानी चरमराई व्यवस्था के हाथों तहस नहस होने के लिए नहीं छोड़ा जा सकता !


क्योंकि याद रखो कि संपूर्ण ब्रहमांड तुम ही हो !
कड़वा है किंतु सत्य है !


नोट - दुख होता है कि जब एक 3 साल का अबोध स्कूल के गेट के भीतर पहली बार प्रवेश करता है तो कभी कभी उस गेट के अंदर जो पूरा सिस्टम चल रहा होता है, उसके पास उस 3 वर्षीय अबोध को जानने , समझने और देने के लिए कुछ नहीं होता सिवाय फोटोग्राफी के लिए कराई जाने वाली फेक  ऐक्टिविटीज़ के जो तितलियों, पंछियों,पौधों,कागज़ की नावों ,सैंडपिट और खिलौनों के साथ एक फिल्म की शूटिंग की तरह कराई जाती  हैं !


जो दिखता है वो अक्सर होता नहीं . अपनी नन्ही जान को केवल एक चरमराई हुई व्यवस्था के हाथों में ही पूरी तरह सौप कर निश्चिंत मत बैठिएगा .मेरी बात हो सकता है कई लोगों को ठीक न भी लगे , लेकिन यह विनम्र निवेदन है !


तारीख: 07.04.2020                                    सुजाता









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