कुछ शब्द इनके भी - मनीषा श्री

“ज़िन्दगी की गुल्लक”  से सुर्ख़ियों में आयीं और फिर “रिक्ता” से सभी साहित्यप्रेमियों खासकर महिलाओं के दिलों को छूने वाली मनीषा जी बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं | हमे गर्व है कि मनीषा जी के साहित्यिक सफ़र के शुरुआती दिनों में वो साहित्य मंजरी से जुडी रहीं| “कुछ शब्द इनके भी” श्रृंखला की पहली कड़ी में हमने बातचीत की मनीषा जी से | प्रस्तुत है इनसे बातचीत के कुछ अंश: 

Manisha shree

 

1.सबसे पहले आपकी पुस्तक की सफलता पर आपको बधाइयाँ एवं साहित्यमंजरी से बात करने के लिए धन्यवाद.

 आपका भी बहुत बहुत शुक्रिया .


2.इंजीनियरिंग से लेखिका तक का सफर कैसा रहा। साहित्य में रूचि कब आयी और कब आपको लगा कि आपको भी लिखना चाहिए

सफ़र तो हमेशा ही खुबसूरत होता है . जियोलॉजी की पढाई आगे चलकर  मेरा पेशा बनी जिससे मै अपनी जीविका कमा  रही थी ...लिखना मेरा जूनून है जिससे मै सुकून कमा रही हूँ . पढने का शौक तो जब से होश संभाला तब से ही  है. कभी कोर्स की क़िताबे तो कभी कविता की   मगर लिखने का शौक जब से वक़त ने हमे वक़्त देना शुरू किया तबसे हो गया . कई बातें मै बोल नहीं पाती हूँ .लिखना मेरे लिए उन्ही बातों को ख़ुद से आज़ाद करना है . 

3.आपकी पहली पुस्तक "ज़िन्दगी की गुल्लक" को खूब सराहा गया। इस तुलना में रिक्ता को कैसा रिस्पांस मिला है।

ज़िन्दगी की गुल्लक एक खुबसूरत प्रयोग थी . मेरा ख्याल है लेखनी से जाएदा उस प्रयोग को सराहा गया है . हर कविता में छुपी एक अनकही कहानी पाठक  के दिल को छू लेती है ....यही गुल्लक की खनक है और उसकी खूबसूरती भी . रिक्ता एक उपन्यास है ,हलाकि कविताओ का समावेश उसमे भी भरपूर है मगर उसका आकर्षण उसकी कहानी है ...जो सिर्फ़ लिखी मैंने है मगर है हम सब की . रिस्पांस की बात करे तो एक लाइन में बोलूँगी....पब्लिशर बेहद ख़ुश है रिक्ता की बिक्री से .

4.एक लेखिका के लिए सबसे ख़ुशी का क्षण क्या होता है ? क्या आप अपने कुछ अनुभव शेयर कर सकती हैं?

जब कोई मुझे पढ़ कर यह कहता है की ऐसा लगा की किरदार आँखों के सामने नाच रहे है  ,या फिर यह की  वो कहानी को  वो जी रहा है ,जब कहानी के किरदार जिंदा महसूस करने लगे पाठक तो समझ लेना चाहिए के लिखना सफ़ल हो गया . जब भी कोई यह पूछता है की अगली किताब कब आएगी तो एक उम्मीद बंधती है की कोई है जो आपको फिर से पढना चाहता है .  इससे अनमोल क्या होगा भला .

 5.रिक्ता  क्या है? यदि एक वाक्य में रिक्ता को परिभाषित करना हो तो कैसे करेंगी ?

वो अधूरापन जो हम सबमे है ...होना भी चाहिये मगर उसके भरने की ज़िमेदारी भी हमारी ही है ...रिक्ता एक सफ़र है पूर्णता की ओर.

6. हिंदी साहित्य की वर्तमान परिस्थिति के बारे में आप क्या कहेंगी? क्या आपको लगता है कि हिंदी साहित्य एक  उज्जवल पथ की ओर अग्रसर है ?

साहित्य बहुत बलवान  होता है ...उसको परिस्थितियां  कभी नहीं हरा सकती . आजकल लोग अग्रेज़ी पढना पसंद करते है यह बात पूरी तरह से सही नहीं है . हमेशा से ही लोग वो चीज़ पढना पसंद करते है जो उन्हें ख़ुद से जोड़े ,भाषा सरल हो और बात दिल पर दस्तक दे जाए . अगर यह सब चीज़े हिंदी में उपलब्ध हो तो कोई क्यों नहीं पढ़ेगा . हम लिख्र रहे  है और यकीन मानिये लोग पढ़ भी रहे है . आपने भी पढ़कर ही हमसे बात करनी चाही न ! हिंदी ने अपना रुका हुआ सफ़र फिर से शुरू कर दिया है ...बस रफ़्तार पकड़ने की देर है . मंजिल बहुत करीब नहीं तो बहुत दूर भी नहीं है .

7.मौजूदा दौर के किन लेखकों व् कवियों को पढ़ना पसंद करती हैं।

अगर सच कहूँ तो इस वक़्त नामची लेखको और कवियियो को नहीं पढ़ रही . फेसबुक पर कई ऐसे हुनरमंद  दिख जाते है जो 2 लाइन में पूरा भ्रमांड समां लेता है . सुनने में अजीब लगेगा मगर सोशल मीडिया पर  टैलेंट बिखरा पड़ा है . आपकी वेबसाइट भी मेरा एक ठिकाना है ...वहाँ भी अक्सर अपने पढने की तलब को शांत करती हूँ .

 8.एक लेखिका के तौर पर आपको किन चुनातियों का सामना करना पड़ा है?

फ़िलहाल तो ऐसी कोई बड़ी दिक्कत नहीं आई है . हाँ मगर  “ज़िन्दगी की गुल्लक” के समय  हम नए थे और देश के बहार भी तो पब्लिशर ने बहुत टोपी पहनाई . पैसे लिए किताब छापने के और मार्केटिंग के नाम पर कुछ भी नहीं किया ,उसने पब्लिशर की तरह नहीं बल्कि प्रिंटिंग प्रेस की तरह काम किया  . मगर रिक्ता के वक़्त ,वक़्त हमपर मेहरबान था . हमे अच्छे लोगो का सहारा मिला . story mirror ने एक रूपया नहीं लिया और जान लगा दी book के प्रमोशन में . शायद दुनिया इतनी भी बुरी नहीं है .

9.आप रडियो के लिए भी लिख रही है ,उसके बारे में कुछ बताईये ?

जी ,लगभग एक साल हो गया . रेडियो पर लिखने का मौका भी हमे फेसबुक से ही मिला . हमारी कुछ कविताये और विडियो देखकर उन्होंने एप्रोच किया . कई लोगो ने गुल्लक पढ़ी थी तो हमारी लेखनी को परखने का भी उन लोगो को मौका मिल गया ....और यही से शुरुवात हुई रेडियो पर कहानी लिखने की . lamhe with mantra के लिए big Fm पर लिख रहे है फ़िलहाल .

10.हमारे वो पाठक जो लेखन क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहते हैं उनको आप क्या टिप्स देना चाहती है ?

बस यही की लिखने के लिए सिर्फ़ लिखना जरूरी होता है तो ख़ूब लिखो दोस्तों  . अच्छा ,बुरा, लय बिना लय के ...जेसा भी हो मगर लिखते रहो . दुनियां के लिए कभी मत लिखना ख़ुद के लिए लिखो और जब ख़ुद के लिखे पर गुमान आने लगे तो उसे सबको पढाओ.... और इतराओ . दिल की बात लिख देना और उसको पढना सबके बस की बात नहीं . आप में हुनर के साथ हिम्मत भी होनी चाहिए  

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तारीख: 21.07.2017                                    साहित्य मंजरी









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