एक्स-गर्लफ्रंड - किताब समीक्षा

वैसे तो यह किताब मैं पिछले महीने ही पढ़ गया था पर इसकी समीक्षा में थोड़ा जरूरत से ज्यादा वक्त लग गया। यह किताब एक कहानी संग्रह है जिसके लेखक हैं विनायक शर्मा। विनायक शर्मा एक युवा लेखक हैं जो कि परशुराम की धरती और राष्ट्रकवि दिनकर की विद्यास्थली के रूप में प्रसिद्ध बिहार के मोकामा जिले के रहने वाले हैं।

पिछले महीने जब यह किताब लॉन्च हुई उसी दौरान मैंन ऑफिस से एक लंबी छुट्टी लेकर अपने शहर पटना लौटने का टिकट करा रहा था. संयोग कुछ ऐसा रहा कि यह किताब मुझे उसी दिन प्राप्त हुई जिस शाम मुझे ट्रेन पकड़नी थी। अप्रैल महीने में होने वाली भारी गर्मी एवं पटना पुणे एक्सप्रेस के स्लिपर बोगी की 72 सीटों पर बैठे डेढ़ सौ लोगों को झेलने की शक्ति इस किताब ने ही मुझे दी। अब जब छुट्टियों के बाद घर से लौट आया हूँ तो आखिरकार समीक्षा करने का अवसर मिला . 
Ex girlfriend book review
आजकल की कहानी संग्रहों के मुकाबले जिनमे अमूमन लेखक कम से कम 10 से 12 कहानियां डाल देते हैं, विनायक शर्मा ने अपनी किताब में सिर्फ 6 कहानियां रखी है. मुझे उनका यह अप्रोच बहुत पसंद आया क्योंकि इससे अमूमन एक कहानी जो पहले 3-4 पन्नों में सिमट जाती थी, उसको १५-२० पन्ने मिलने के कारण थोड़ा बनने, बढ़ने का मौका मिलता है और साथ ही साथ इनमे पाठक को थोड़ा अधिक समय मिलता है कहानी के पात्रों को बेहतर समझने का और उनसे खुद को जोड़ के देखने का। 

इस किताब के नाम 'एक्स-गर्लफ्रंड' से पहले पहल मुझे ऐसा लगा कि यह एक 'इश्क बेवफाई प्यार मोहब्बत' की कहानियों का संग्रह है पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, किताब को ये नाम इसकी पहली कहानी से मिला है और नाम के अनुकूल ये कहानी एक असफल प्रेम कथा है और शायद कही न कहीं लेखक के व्यक्तिगत जीवन से प्रभावित लगती है और शायद यही कारण है की लेखक ने इस कहानी को सबसे आगे रखने के साथ किताब को भी यही नाम दिया है। 

हालांकि हर व्यक्ति की प्रेमकथा उसके लिए सबसे कीमती कहानी होती है इसलिए लेखक का उसे किताब में सबसे महत्त्वपूर्ण स्थान देना लाज़मी है , पर ये जरुरी नहीं की वो कहानी एक पाठक को भी उतनी ही पसंद आएगी और इस कहानी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. ये कहानी अपने आप में मार्मिक जरूर है पर ऐसी कई असफल प्रेम कहानियां पढ़ने के कारन मुझे एक पाठक के तौर पर इस कहानी ने बिलकुल भी नहीं लुभाया। हाँ पर एक मध्यम वर्गीय लड़के के प्यार , शिक्षा और नौकरी में से किसी एक को चुनने के जद्दोजहत से मैं खुद को जरूर जोड़ के देख पाया। 

अगर आप मेरे जैसे पाठक हैं जिन्हे इस किताब की पहली कहानी कोई खास पसंद नहीं आयी हो और आप शायद किताब को आगे पढ़ने के मूड में नहीं हो तो कृपया रुक जाइये क्यूंकि मेरी इस किताब को ले कर नकारात्मक समीक्षा पहली कहानी के साथ ख़त्म हो चुकी है और आगे की कहानियां विभिन्न जवलंत मुद्दों और कथा कहानी के अन्य भावों को बहुत सुंदरता से पिरोये हुए हैं जो आपको जरूर लुभाएंगी। आगे की कहानियों में "हाशिए के लोग, वर्दी का फर्क और बदनाम लड़की" मुझे बेहद पसंद आये. ये तीनो ही कहानियां एक-एक सामाजिक मुद्दे को दर्शाते अवं उसका हल खोजने की बड़ी खूबसूरत कोशिश करती हैं. और खास कर के बदनाम लड़की के के प्रमुख किरदार की सोच से मैं बहुत प्रभावित हूँ और मैं लेखक का सम्मान करता हूँ जिन्होंने एक ऐसे मुद्दे को उठाया है जिस पर मेरे ख़याल से अभी उतनी चर्चा नहीं होती. 


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किताब क्यों पढ़ें :

१: अगर आप उन पाठकों में से हैं जिन्हें एक उपन्यास पढ़ने भर का धैर्य नहीं होता मगर फिर भी आप तीन-चार पन्ने की कहानियों से कुछ ज्यादा पढ़ना चाहते हैं तो यह किताब आपके लिए उपयुक्त है क्योंकि इस किताब में 6 कहानियां हैं जो कि अमूमन 15 से 20 पन्नों के बीच है. 

२: अगर आप एक ऐसे कहानी संग्रह की तलाश में है जिनमें कहानियां किसी एक थीम पर ना होकर कई मुद्दे टटोलती है तो आपको एक किताब पसंद आएगी

३ : अगर बिहार की पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं अथवा आज के आज के बिहार एवं वहां के लोगों की बोलचाल की भाषा अथवा वहां के मुद्दे वहां के लोगों की सोच को और थोड़ा करीब से जानना चाहते हैं तो आपको ये किताब अच्छी लगेगी 

४ : अगर आप एक नए युवा लेखक के पहले प्रयास की सराहना करना चाहते हैं और लेखन में हुई मामूली त्रुटियों को माफ कर के कुछ ताजा कहानियां पढ़ना चाहते हैं तो आप इसे जरूर पढ़ें

किताब क्यों ना पढ़ें :

१. अगर आप किताब के नाम से इसे मात्र एक इश्क और बेवफाई के मसाले का कहानी संग्रह समझ के खरीद रहे हैं तो कृपया ना करें क्योंकि यह किताब कई विभिन्न भावों की कहानियों का संग्रह है।

: अगर आप केवल हिंदी के कुछ चुनिंदा नामों को ही पढ़ने के शौकीन है और किसी नए रचनाकार या लेखक को मौका देना पसंद नहीं करते तो हां शायद आपको एये किताब नहीं पढ़नी चाहिए क्योंकि यह किताब हिंदी साहित्य के विशाल सागर में एक युवा लेखक की अदना सी मगर एक सच्चे दिल से की गई कोशिश है । 


तारीख: 08.06.2017                                    यायावर




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