दवा करो तो फिर दुआ भी करो

दवा करो तो फिर दुआ भी करो
मन की आँखों से छुआ भी करो

आग लगाने का जूनून है तो फिर
अपने जाहिलपन को धुआँ भी करो

कलेजे पे चढ़के बैठे हो इस ज़मीं के
मोहब्बत में ये जिस्म रूआँ* भी करो

अदबो-ओ-रिवाज़ का पुतला बना रखा है
बच्चों के साथ बच्चे कभी हुआ भी करो

कहते हैं कि बड़े-बड़े शहर बसाए हैं तुमने
अपने गाँव में एकाध ही सही कुआँ भी करो

बहुत सारी द्रौपदियों को हार चुके हो तुम
हिम्मत लगा कर खुद पर जुआ भी करो


तारीख: 26.01.2020                                    सलिल सरोज









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है