हर पल मुझे देख मुस्कुराती थी माँ,
कभी हँसाती कभी रूलाती थी माँ.
नींद न आये मुझे जब भी रातों में,
मुझे लोरी गाकर सुलाती थी माँ.
जल्दी उठकर सुबह मुझे देर न हो,
टिफिन के लिए रोटी बनाती थी माँ.
सुबह जगाकर नहलाकर खिलाकर,
मुझे मेरे बालों को खूब सवारती थी माँ.
सारा दिन अपने कामों में व्यस्त रहती,
पूरे घर को खूब सजाती थी माँ.
गुलाब सी महक गंगा जैसी पवित्रता,
महक से घर को खूब महकाती थी माँ.
कभी दुलारती आँखों का तारा कहती,
मुझपर अपनी हर खुशी लूटाती थी माँ.
परेशानी में भी होकर जिसने उफ्फ नही किया,
हँसकर सभी से अपने गमों को छुपाती थी माँ.
हमेशा सलामत रहूँ उज्ज्वल भविष्य हो मेरा ' देव',
मेरे लिए सजदे में सर झुकाया करती थी माँ.