मुझे मेरी वफाओं की, सही कीमत अदा कर दो,
मुझे अपना बना लो, या तो फिर मुझको फ़ना कर दो,
हुआ बर्दास से बहार, ये मेरे दर्द का आलम,
मेरे इस ज़िस्म से, साँसों को मेरी तुम जुदा कर दो,
अगर ये जां भी जाये तो, तेरी बांहों में ही जाये,
मेरी इतनी सी ख्वाहिस तुम, नवाजों में अदा कर दो,
मेरे लिखे हुए नग्मे, तुम होंठों पे सजा लेना,
वफ़ाओं की कसम तुमको, बस इतनी से वफ़ा कर दो,
दम-ए-तहरीर में, तेरे फ़साने याद आते हैं,
मेरी खातिर भी ख्वाबों में, ज़रा सी तुम जगाह कर दो।