मुझमें तू हिन्दुस्तान देख

मुझमें तू हिन्दुस्तान देख
हूँ कितना परेशान देख।
हैं योजनाएँ तो कई मगर
अब तक हूँ अंजान देख ।
तीन ज़रूरतें हैं मेरी बस
रोटी ,कपड़ा,मकान देख।
हस्ती मेरी समझ न पाया
हूँ मैं कैसा नादान देख।
छ्ला गया हर दौर में मैं
हुआ किसे नूकसान देख ।
तू भी अजय करेगा क्या
जाके अपनी दुकान देख।


तारीख: 07.02.2024                                    अजय प्रसाद









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