पूछो न राज़ खुशियों का चाँद चाँदनी से
आने लगी वफ़ा की बू राग रागिनी से
हर रोज़ रहनुमा देता है नया दिलासा
हर रोज़ ही रहे मरते लोग मुफ़लिसी से
अब धूप छाँव के हिस्से से ज़ुदा हुआ दिल
घुलने लगी मिरी सांसें आज़ ज़िंदगी से
दिल का शहर तो यारों वीरान है सभी का
मिलते नहीं हैं खुलकर सब लोग हर किसी से
ज़ेवर नया नया है विश्वास का यकीं का
रखना सदा दिलों मे तुम यार दोस्ती से