आग लगाने वाले आग लगा चुके

आग लगाने वाले आग लगा चुके
पर इल्ज़ाम हवाओं पे ही आएगा

रोशनी भी अब मकाँ देखे आती है
ये शगूफा सूरज को कौन बताएगा

बाज़ाए में कई"कॉस्मेटिक"चाँद घूम रहे
अब आसमाँ के चाँद को आईना कौन दिखाएगा

नदी,नाले,पोखर,झरने सभी खुद ही प्यासे
तड़पती मछलियों की प्यास भला कौन बुझाएगा

धरती की कोख़ में है मशीनों के ज़खीरे
क्यों नींद आती नहीं घासों पे,कौन समझाएगा

सिर्फ फाइलों में ही बारिश होती रहेगी
या सचमुच कोई बादल पानी भी देके जाएगा

मोबाइलों से चिपटी लाशें ही बस घूम रहीं
ऐसे दौर में अगली पीढ़ी का बोझ कौन उठाएगा


तारीख: 22.08.2019                                    सलिल सरोज




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