रिश्ते कहाँ पड़े हैं , उठा कर देखते

कुछ कदम तुम भी  बढ़ा कर देखते
रिश्ते कहाँ पड़े हैं ,  उठा कर देखते

कितनी दस्तकें दी  दरवाजे पे तुम्हारे
किसी वजह मुझे भी बिठा कर देखते

चाँद क्यूँ न उतर आता तुम्हारे आँगन
कभी अपने  छत पर  चढ़ा कर देखते  

हम इतने भी  कमजोर नहीं गणित में
इश्क़ का  पहाड़ा हमें पढ़ा कर देखते


तारीख: 20.10.2019                                    सलिल सरोज




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