सब के सामने मन की बात रखते है

सब के सामने मन की बात रखते है।
आज केसै बिगड गये हलात रखते है।

बडा मुश्किल है पहचानना अब
वो बगल मै छुरी मुहँ राम रखते है।

कोशिश क्यूँ न हो नाकाम उनकी 
नीयत जो अपनी खराब रखते है।

अब तो गली का बच्चा बच्चा जानता है हमे
खुद को इस तरह बदनाम रखते है।

नशा क्यूँ न हो हमे तुम ही बताओ
साथ मे तेरी यादो का जाम रखते है।

जरा सी नजर मेरी मोहब्बत पर डालो
हम फिर से आशिकी का पैगाम रखते है।

तू होगी मल्लिका ए इश्क माना
हम भी आशिक ए ढ़ीढ  का खिताब रखते है।

वो तो तेरे इश्क की इबादत मै झुके बैठे है
वरना ठोकरो मै हम भी जहान रखते है।

तेरे प्यार से महरूम है तभी तो 
खुद को बेचैन राम रखते है।


तारीख: 17.06.2017                                    रामकृष्ण शर्मा बेचैन









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