दर्द दिल का अगर जवाँ रखिये

gazal shayari

दर्द दिल का अगर जवाँ रखिये।
लव पे इक आह-ओ-फ़ुगाँ रखिये।।

प्यार से दुश्मनी जहाँ भर की।
हर नजर से इसे निहाँ रखिए।।

राज़ हर एक कह सकें जिससे।
साथ वो सच्चा राजदाँ रखिये।।

हमसफर तोहफ़ा अगर माँगे।
उस हथेली पे आप जाँ रखिए।।

अब जरा सी जगह नहीं बाकी।
रंज - ओ - गम कहाँ-कहाँ रखिए।।

मर्ग- ए - ना - गहाँ न आने तक।
हर घड़ी जीस्त जाविदाँ रखिए।।

तन्हा कैसे सफ़र करेंगे तय।
याद के साथ कारवाँ रखिए।।

टूट कर लम्हे में बिखरता है।
इश्क़ पर क्या भला गुमाँ रखिए।।

बात गर आ गई अना पे जो।
'रश्मि' खामोश क्यूँ जुबाँ रखिए।


तारीख: 14.02.2024                                    रश्मि विभा त्रिपाठी




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