हमको वफ़ाए इश्क ने ऐसा दीवाना कर दिया,
किस्सा मेरा छोटा सा था इसको फ़साना कर दिया।
नामों निशाँ गुमनाम, मैं था जहां से बेखबर,
इस इश्क ने अब शुर्खियों में ही ठिकाना कर दिया।
मैं इस शहर की हर नज़र के सामने अंजान था,
इस दिल्लगी ने कितनी नज़रों का निशाना कर दिया।
यूँ देखते हैं गौर से अब तो मोहल्ले के सभी,
हमने भी पीछे की गली से आना जाना कर दिया।
यूँ गुनगुनाते हैं सभी किस्से हमारे हर जगह,
इस अनकही सी कहानी को तराना कर दिया।
फिर आज पूछा माँ ने हमसे क्यों हो इतने बेखबर,
हमने भी फिर से इस तबियत का बहाना कर दिया।
वो देख कर यूँ मुस्कुराए हमको गली के सामने,
आशिक हमें वो कर गए और दुश्मन ज़माना कर दिया।