इंतजार है कोई कयामत हो जाए

इंतजार  है कोई  कयामत हो जाए,
उन्हें  भी मुझसे  मुहब्बत  हो जाए.
 
समझ  सकें  वो  मेरे  जज्बातों को, 
मुझपर भी  थोड़ी इनायत हो जाए. 

बहुत  दिनों कैद  रहा बंद पिंजरे में, 
परिंदे की अब तो जमानत हो जाए. 

बडी नाजुक गुलाब सी कोमल हैं वो, 
मेरे अंदर भी थोड़ी नजाकत हो जाए. 

नहीं  आते  मुझे  इश्क  के  दांव-पेंच, 
मेरी तरफ से भी कोई वकालत हो जाए. 

खुदा नजर आता है मुझे उनके  चेहरे में, 
सुबह शाम उन्हे देखूँ और इबादत हो जाए.
 
बडी  ही  शान्त  सरल  स्वभाव  हैं  वो, 
मेरे अंदर भी  थोड़ी  शराफत  हो जाए.
 
ऐसा करिश्मा  मुझपर  कर मेरे मौला, 
उनसे कह दूँ वो मेरी अमानत हो जाए.


तारीख: 28.06.2017                                    देवांशु मौर्या




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है