जैसे वहाँ शिरकत हुई। मुझको जरा फुर्सत हुई।।
लोगो रही है जुस्तजू, पाना मेरी आदत हुई।
प्रभु की सदा हैं नेमतें, मेरे यहाँ बरकत हुई।
सब कुछ भरोसे पे रहा, तब भी कहाँ शिद्दत हुई।
भगवान हैं भूखे अगर, प्रेम बाँटना लागत हुई।
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