उसने लगाया जो गले मुझे 

उसने लगाया जो गले मुझे 
हज़ार वसंत ज्यूं मिले मुझे 

होंठ,सीना,नाफ़ और कमर
हुश्न के खूब सिलसिले मुझे 

जन्नत दिखा जो तुम दिखे 
नहीं और ही कोई गिले मुझे 

मैं उमड़ घुमर के तुझपे आऊँ 
तू बारिश सा बस पी ले मुझे 

बस इतनी अब ख्वाहिश है
अपनी साँसों में जी ले मुझे 


तारीख: 23.08.2019                                    सलिल सरोज




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