इस दुनिया के लोग

इस दुनिया के
लोग बाग
पापों की गठरी लादे हैं!

सूख गए होंगे 
प्रेम भाव 
के ताल!
बाल की जैसे
निकाल रहे
हैं खाल!!

पगे झूठ की
चाशनी में
रहनुमाओं के वादे हैं!

हैं रचने लगे
नए नए
हथकंडे!
अवकाश मिला
तो धन्य हुआ
संडे!!


तारीख: 01.03.2024                                    अविनाश ब्यौहार









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है