रामेष्ट के राम

राम नाम की लूट है,
लूट सके तो लूट।

हर पूजा राम के
बिना है अधूरी।
कामनाएं राम के
ध्यान से पूरी।।

असत्य के कच्चे घड़े,
अब जाएंगे फूट।

रामेष्ट के राम हैं
जन-जन के राम।
राम के हवन से
बनते बिगड़े काम।।

तप ने है फैला दिए,
गगन में जटा-जूट।


तारीख: 02.03.2024                                    अविनाश ब्यौहार









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