दौराने जवानी देख लो कदम रख इश्केदारी में
ये जो उम्र है, जिंदगी में बार बार नहीं आती
ताउम्र तरसोगे एक एक क्षण को याद करके
दिल से ये यादें फिर कभी भुलाई नहीं जाती
दीवानों का किरदार निभा देखें प्रेम कहानी में
कि तुम्हारा तमाशा दुनिया कब तक नहीं बनाती
बतौर दिलदार कभी लुटाओ तो खुद को कि
कैसे पल पल की भी जुदाई सही नहीं जाती
फिरता है जमाना यहां पत्थरों को टक्कर मारता
इन्सां के अंदर की क्यूं खुदाई आज समझी नहीं जाती
फकीरों के अंदाज जुदा हैं यहां जिंदा रहने के ललित
ये वो फितरत है यारा जो बिना नासमझी नहीं आती