माँ बाप सा दुनिया मे दूजा भगवान नही देखा है ।

रिश्तों के रंग और माता-पिता का मान
मैंने अपनों को भी रंग बदलते हुए देखा है,
दिन के उजालों में भी नकाब पहने देखा है।
सूरज को भी ढलते हुए देखा है,
बारिश हो या आँधी, फिर से निकलते हुए देखा है।

अपने बच्चों के लिए माँ-बाप को रोते हुए देखा है,
माँ-बाप-सा दुनिया में दूजा भगवान नहीं देखा है।
ऐ नादाँ इंसान, मत दिल दुखा तू उन माँ-बाप का,
माता-पिता के कारण ही हमने संसार देखा है।


तारीख: 15.06.2025                                    महेश शर्मा




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