पाखण्डी कहलाऊँगा

        ( मनहरण कवित्त छन्द )

 

 

           पाखण्डी कहलाउँगा

 

 

 

नवीन निकेतन बनवाया बहुत बड़ा,

ग्रामवासी गृहप्रवेश पर बुलाऊँगा।

मकान मेरा मनोहर महा महिमायुक्त,

संसार सम्मुख दिखावट दिखलाऊँगा।

पैसा-पानी से लुटेरे लोगों का भरूँ भुवन,

कल्पित काली कथा का पाठ पढ़वाऊँगा।

ढोंग-ढकोसलों में “मारुत” मैं फँसूंगा फिर,

तभी तो महा मूढ़ पाखण्डी कहलाउँगा।।

 

 

 


तारीख: 14.07.2025                                    पवन कुमार "मारुत"




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