प्रभु चरणों में शीश नवाऊँ
ईश्वर तेरी महिमा गाऊँ।
पेड़ में, पर्वत में तुम हो
हत में अनहत में तुम हो
तुम हो राग में, वीतराग में
अनिल में हो, आग में
तेरे पावन पग पखारूँ
ईश्वर तेरी महिमा गाऊँ।
कर्म में तुम, काम में हो
काल हो, निष्काम में हो
सर्व कर्म सर्वदा तुम्हीं हो कर्ता
तुम्हीं हो धर्ता तुम्हीं विघ्न हर्ता
सबरी हूँ तेरा रस्ता निहारूँ
ईश्वर तेरी महिमा गाऊँ।
शाप में हो तुम, वरदान में भी
दंड में भी, तुम क्षमादान में भी
जीव में हो, तुम निर्जीव में भी
शिखर पर हो तुम,नींव में भी
तेरा अंश हूँ, तुझमें समा जाऊँ
ईश्वर तेरी महिमा गाऊँ।