शीर्षक - रुको जरा
रुको जरा,
इस भाग-दौड़ की जिदगी में
दो मिनट के लिए सोचो जरा,
जिसने तुम्हे जन्म दिया
उनके लिए तुमने क्या किया ?
रुको जरा,
इस भाग दौर की जिन्दगी में
दो मिनट के लिए सोचो जरा,
जो रोटी, आज तुमने खाई है
वह कहाँ से और कैसे आई है
उस अन्नदाता के लिए तुमने क्या कदम उठाई है?
रुको जरा,
इस भाग-दौड़ की जिन्दगी में
दो मिनट के लिए सोचो जरा,
इस प्रकृति ने जो तुम्हे सब कुछ दिया
उसके लिए तुमने क्या किया ?
रुको जरा,
इस भाग दौड़ से जिन्दगी में
दो मिनट के लिए सोचो जरा,
कल उस जवान ने तुम्हारे लिए अपना प्राण दे दिया
तुमने उसके और उसके परिवार के लिए क्या किया ?
रुको जरा,
इस भाग दौड़ से जिन्दगी में
दो मिनट के लिए सोचो जरा.....
By- Hridesh Kumar Yadav Hansraj college University of Delhi