थोड़ा जहर तेरे धरम में, थोड़ा जहर मेरे धरम में

थोड़ा जहर तेरे धरम में, थोड़ा जहर मेरे धरम में,

कुछ ठेकेदार तेरे में है कुछ ठेकेदार मेरे धरम में..

 

नशा चढ़ा है जबसे सियासती हुक्मरानों का इनमें,

मरते है मासूम तेरे धरम में कुछ मरते मेरे धरम में..

 

कहते हैं न तेरा बुरा है न ही कुछ बुरा मेरा धरम में,

खिलाफत न कर हिला पाता सिंहासन उन गद्दारों का..

जाओ! ऐलान करो मैं ही बुरा हूँ शायद मेरे धरम में।


तारीख: 27.08.2017                                    राम निरंजन रैदास




रचना शेयर करिये :




नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है