देखता हूं
रोज तैरते बिन्दू
कभी आंखों में
चेहरों पर छाई
सिलवटों में
कहने को बहुत है
पर बात कुछ भी नहीं
तुम आओ
लोटो फिर बस एक बार
आओ अभी
क्षितिज दूर नहीं
इंद्रधनुष आज भी दिखता है
जब भी तुम होते हो
संग में
साये में
पूर्ववत••
तारीख: 15.04.2020मनोज शर्मा
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