किसको बोलें भी क्या, यूँ क्या बताएं,
इस बुढ़ापे में ,आखिर हम कंहा जाएं,
तो वो सुनते भी नहीं, हम कहते नहीं ,
हुए सब इतने बड़े, कुछ अब सहते नहीं ,
किसको जा के अपना दर्दे दिल समझाएं
इक ऐसा घना अँधेरा है जो छ्ठता नहीं है,
और वक़्त हैं जो ,अब हमसे कटता नहीं है ,
बस इच्छा ही नहीं होती सो अब क्या खाएं ,
किसको बोलें भी क्या, यूँ क्या बताएं,
इस बुढ़ापे में ,आखिर हम कंहा जाएं,
सब ये कहते है अब तुम तो सिर्फ नाम जपो,
छोड़ दो दुनियादारी तुम बस सुबह शाम जपो,
मेरा दिल करता है कि वो किसी के काम आये,
हुए उम्रदराज तो क्यों बस हम अब सिमट जाएं ,
किसको बोलें भी क्या, यूँ क्या बताएं,
इस बुढ़ापे में ,आखिर हम कंहा जाएं !!