दोस्त-दुश्मन

जिसे चाहते हैं,
उसी के हो रह जाते है,
ये किस तरह मेरे 'दुश्मन'
जान जाते हैं,

चले आते है लिए दुआ 
मेरी सब्ज़ तबियत को,
दिल को मेरे आब 
कर जाते हैं,

कहते है
सूख गए हो 'यार' तुम 
चल तुझे फिर भर जाते हैं।
 

 


तारीख: 01.03.2024                                    भावना कुकरेती









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