कलमकार को दुर्योधन में पाप नजर हीं आयेंगे

कलमकार को दुर्योधन में पाप नजर हीं आयेंगे ,
जो भी पांडव में फलित हुए सब धर्म हो जायेंगे ।
धर्म पुण्य की बात नहीं थी सत्ता हेतु युद्ध हुआ था,
दुर्योधन के मरने में हीं न्याय धर्म ना पुण्य फला था।

सत्ता के हित जो लड़ते हैं धर्म हेतु ना लड़ते हैं ,
निज स्वार्थ की सिद्धि हेतु हीं तो योद्धा मरते हैं।
ताकत शक्ति के निमित्त युद्ध सत्ता को पाने को तत्पर,
कौरव पांडव आयेंगे पर ना होंगे केशव हर अवसर ।

हर युग में पांडव  भी होते हर युग में दुर्योधन होते  ,
जो जीत गया वो धर्म प्रणेता हारे सब दुर्योधन होते।
अब वो हंसता देख देख  के दुर्योधन की सच्ची वाणी ,
तब भी सच्ची अब भी सच्ची दुर्योधन की कथा कहानी।

हिम शैल के तुंग शिखर पर बैठे बैठे  वो घायल नर,
मंद मंद उद्घाटित चित्त पे उसके होता था  ये स्वर ।
धुंध पड़ी थी अबतक जिसपे तथ्य वही दिख पाता है,
दुर्योधन तो  मर   जाता   कब  दुर्योधन मिट पाता है?
 


तारीख: 12.03.2024                                    अजय अमिताभ सुमन









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