वक्त के गूजरने का एहसास किसे है 'वो'भी गूजर जाएगा बिश्वास किसे है । खुश रहें जिस हाल में रक्खें खुदा हमें बेहतर ज़िंदगी की अब आश किसे है। हाँ ज़रूरतें मार देतीं हैं ज़मीर हमारा वर्ना बेमतलब जी हुजूरी रास किसे है ।
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