देश नया हो जाने दो


ये तूफानों का वेग नहीं
उन्मादी परिवेश नहीं


ये धरती की अँगडाई है
धानी चूनर लहराई है


जो होता है हो जाने दो 
सच की किरणों को आने दो


कब तक अँधियारे मचलेगे
एक दीपक तो जल जाने दो । 


तारीख: 18.08.2017                                    मन्जू श्रीवास्तव




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