नियत

पता तो चले कि नियत क्या है
इस अहद-ए-वफ़ा की असलियत क्या है
हर बात में ज़िन्दगी ढूंढने वालो की
तेरी बातो में एहमियत क्या है
पता तो चले कि....

हर्फ़ है जो है,आयतो का ख़ुद का क्या है
वास्ते हो शर्त पर तो वो वास्ता क्या है
कारवाँ में राह भर खाइयां बनती रहे
मंज़िलो पे आलिंगनों की भेंटों का क्या है
पता तो चले कि....

 


तारीख: 22.02.2024                                    आलोक कुमार






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