तो आप भी साहित्य में षडयंत्र के शिकार हो गए भयंकर बुद्धिजीवी मानसिकता के विकार हो गए । तब तो आप किसी की भी सुनेंगे ही नहीं,क्या कहूँ जब आप खुद ही अपने आप से दरकिनार हो गए ।
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