चंद दोस्त, खरे

कई लोग जब भी पूछते है हाल, मुझे रुला के  जाते है,
वोही चंद दर्दनाक यादें, फिर से याद दिला के  जाते है,

अपनी तरफ से, तो वो, मुझे कुछ  समझा, के जाते है,
सुना है कुछ रकीब तो मन ही मन मुस्कुरा के जाते है,            

इसी बहाने कई अपना दर्द भी, मुझे  दिखा के जाते है,
पर जो आता है जिक्रे बेवफाई,तो कुछ शर्मा के जाते है,

जो इक इशारा कर दूँ कितने ही गर्दन झुका के जाते है,
अब क्या कंहू कि वो चंद खास तो खिसिया के जाते है,   

पर अब मौजूद है कई, दिल के सच्चे, मेरे, कुछ दोस्त,
जो सुन के दास्ताँ,उन आँखों से, अश्क बहा के जाते है,

कई लोग जब भी पूछते है हाल, मुझे रुला के  जाते है,
वोही चंद दर्दनाक यादें, फिर से याद दिला के  जाते है !! 


तारीख: 17.06.2017                                    राज भंडारी






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