हुस्न हो और आप गिरफ्तार ना हों
पत्थर होगा वो जिसे प्यार ना हो
आंखें उसकी नुकीली नश्तर सी हैं
मौत आ जाये ग़र ख़बरदार ना हों
तबीयत तो हमारी दुरुस्त है यारों
पूछों उनसे कोई तरफदार ना हों
इकरार मुहब्बत का तो हम कल कर दें
बेवफ़ाई का कहीं वो जानकार ना हों
बातें अकीदत की हमें भी आती हैं
कहीं क़यामत का उनको इन्तिज़ार ना हो
हम तो बेच के निकले हैं कारोबार सारा
कहीं ऐसा न हो कि ज़ालिम तैयार ना हो