बादल बना है फिर सवाली

बादल बना है फिर सवाली
आसमाँ क्यों खाली-खाली

किसने लूटा है गुलिस्तां को
बिखरा हुआ है डाली-डाली

किस-किस से करे हिफाज़त
डरा हुआ हर माली-माली

चाँद खा गया सेंक के कोई
रात रह गई काली-काली

उम्मीदें मर गईं चिल्ला के
खूँ से भरा है थाली-थाली

मंदिर-मस्जिद तोड़-ताड़ के
अब बोलते हैं आली-आली

कीमतें तय की हर चीज़ की
और नोट मिले जाली-जाली

खुद ही बोलते,खुद ही सुनते
खुद ही बजाते ताली-ताली

ये भी हद है नारेबाजी की
वायदे पड़े हैं नाली-नाली

बातें हो गईं बन्द कभी की
ज़ुबानें हो गईं गाली-गाली


तारीख: 23.08.2019                                    सलिल सरोज




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