शहर

यह शहर
भूल भुलैंया,
जादू वाला है।
है फैशनपरस्ती
तब भी
दादू वाला है।।

जीवन इतनी
तीव्र गति से
दौड़ रहा।
अखंड देश को
खून खराबा
तोड़ रहा।।

गाँव जबकि
धर्म कर्म में
साधू वाला है।

हैं प्रगतिशील
और दिमाग
हुआ औंधा।
सहसा
आसमान में
पुच्छल तारा कौंधा।।

खच्चर सब
अस्तबल में
लादू वाला है।
 


तारीख: 28.02.2024                                    अविनाश ब्यौहार









नीचे कमेंट करके रचनाकर को प्रोत्साहित कीजिये, आपका प्रोत्साहन ही लेखक की असली सफलता है